03 August 2017

हालात

शहर जल गया बस राख बाकी है
मिट गयी हर आस फिर भी ये सांस बाकी है
चाहता तो मैं भी था एक मुकम्मल जहाँ
खत्म हो गयी हैं ख्वाहिशें क्यूँ ही ये इंतिहा बाकी है